ज्योतिष के बारे मे गलत धारणा

 ज्योतिष के बारे मे 4 गलत धारणाएं - Jyotish key bare mey 4 galat dharnayen

 
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ज्योतिष के बारे मे गलत धारणाएं ज्योतिषियों के लिए हमेशा से चुनौतीपूर्ण है। 

 ज्योतिष शास्त्र हमेशा से आम आदमी के लिए कोतूहल का विषय रहा है। ज्योतिष विद्यार्थियों के लिए यह शास्त्र जिज्ञासा से भरा है।

 विज्ञानं के विस्तार के पश्चात् समाज का एक वर्ग ज्योतिष शास्त्र को वैज्ञानिक कसौटी पर कसने लगा। इसने समाज को दो हिस्सों मे बाँट दिया।

एक वह वर्ग जो ज्योतिष को विज्ञानं कहता है , और दूसरा वर्ग जो इसको अवैज्ञानिक और अंन्धविश्वास मानता है। दोनों ही पक्ष अपने तर्क रखते हैं।

इस लेख मे मैं ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित 4 गलत धारणाएं एवं अनुभव रख रहा हूँ। यह तथ्य हैं , तर्क नहीं। यह तथ्य  मेरे अपने ज्योतिष अध्ययन के बाद मुझको समझ आये हैं।
 पाठक इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं। अपने विचार कमेंट बॉक्स मे अवश्य लिखिए। सभी के विचार स्वागत योग्य हैं।

१. क्या ज्योतिष विज्ञान हैं ?

तथ्य :

 पहले हम विज्ञान की परिभाषा देख लेते हैं :

विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है। 

ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। या प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबध्द अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को ही विज्ञान कहते हैं। या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं ।
 (विकिपीडिया)


इस परिभाषा के हिसाब से ज्योतिष शाश्त्र भी एक व्यवस्थित अध्ययन है , युगों के प्रयोग और अनुभव के आधार पर इसके सिद्धांत बनाये गएँ हैं और, विशेष बात यह है कि विज्ञान की हर शाखा की तरह इस शास्त्र ने भी सभी तरह के नवीन अनुभवों एवं बदलावों को आत्मसात किया है और, ज्योतिष के विद्यार्थी आज भी शोध कर रहे हैं ताकि आज के युग के हिसाब से ज्योतिष के प्राचीन  सिद्धांतों में प्रासंगिकता खोजी जा सके।  

अनुभव :

मैं ज्योतिष को विज्ञानं की श्रेणी मे नहीं रखता। मेरा व्यक्तिगत मानना है ज्योतिष शास्त्र उन विद्याओं की श्रेणी मे आता है जिसकी कार्यप्रणाली को ब्रह्माण्ड की त्रिगुणी (3D) विषेशताओं से नहीं समझा जा सकता हालाँकि इस शास्त्र से हम अपने विश्व की त्रिगुणी विषेशताओं एवं उनके परस्पर संबंधों को ही समझते हैं।


ज्योतिष शाश्त्र निराकार (formless) की व्याख्या करता है जो भविष्य मे साकार रूप (form) मे हमारे सामने होगा। और निराकार अदृश्य है  यानि निराकार मे जो आज हो रहा है या हो चुका है , ज्योतिष उस निराकार के अध्ययन का शाश्त्र है और , इसको वह विज्ञान, जो हम पढ़ते हैं और समझते हैं उससे परिभाषित नहीं किया जा सकता , क्योंकि यह उस विज्ञान का विषय नहीं है।  

कुछ बातें सोचने वाली है:

 कभी नामी ज्योतिषियों की सूचि देखिये और उनके शैछिक स्तर पर नज़र डालिये। अधिकांश ज्योतिषी उच्च शिक्षा प्राप्त लोग हैं। इनमे वैज्ञानिक, कॉर्पोरेट मैनेजर्, डॉक्टर्, इंजीनियर, प्रोफेसर, सरकारी अफसर सभी तरह के काम करने वाले लोग मिल जायेंगे।
तो यह उच्च शिक्षित लोग क्या सोंच कर ज्योतिष का अध्ययन करते होंगे ?

भारत सरकार का  मानव संसाधन मंत्रालय और विश्वविद्याल अनुदान आयोग ज्योतिष शाश्त्र को पूर्ण मान्यता देता है और भारत के कई विश्विद्यालयों और सम्बद्ध महाविद्यालयों में इस विषय की विधिपूर्वक पढाई होती है और डिग्री प्रदान की जाती है। तो भारत सरकार और सम्बद्ध संस्थाएं क्यों ज्योतिष शाश्त्र को मान्यता देतीं हैं ?

क्या ज्योतिष भाग्यवादी बना देती है ?


2. क्या ज्योतिष से सम्पूर्ण भविष्य देखा जा सकता है ?

तथ्य :

 
जन्मपत्री की सटीक संरचना की गयी हो और ज्योतिषी विद्वान हो तो सम्पूर्ण भविष्य देखा जा सकता है।

अनुभव :

भविष्य कथन ज्योतिष शास्त्र का एक अंग है परन्तु ज्योतिष शास्त्र  का सिर्फ एक ही लक्ष्य है ; व्यक्ति को उसकी कार्मिक यात्रा से अवगत कराना और आत्मा की इस यात्रा मे इस जीवन के पड़ाव की विवेचना करना। यह ज्योतिष का आध्यात्मिक पहलू है। परन्तु ज्योतिष शास्त्र कि यह विशेषता कहीं खो गयी है। 

यह सिर्फ भविष्य कथन तक, वह भी सिर्फ ऊपरी तौर पर आम जीवन की विवेचना तक ही सीमित हो कर रह गया है। इसमे विशेष योगदान कई कम और अधूरी जानकारी वाले व्यक्तियों का है जो अपने आप को ज्योतिषी कहतें हैं।

भारत और विदेशों मे कई प्रकांड पंडित हैं इस शास्त्र के परन्तु संख्या बहुत कम है।

मेरे अनुभव मे जन्मपत्री विवेचना और कथन मे मुख्य रूप से निम्लिखित बातें सामने आती हैं :

a. जातक (जिस व्यक्ति की जन्मपत्री होती है वह जातक कहलाता है ) की मनोदशा , और आंतरिक स्थिति जिसमे वह अंदर से कितना तैयार है - वह सब  जानने के लिए जो उसकी जन्मपत्री प्रकट कर रही है, पर निर्भर करता है, कि, उस दिन ज्योतिषी उसको कितना बता पाएंगे या जातक उनकी बताई गई बातों को कितना समझ पायेगा और अमल मे ला पायेगा।   

b. किसी भी जन्मपत्री से आगे आने वाले समय के विषय मे संकेत मिलते हैं , कोई भी ज्योतिषी आँखों देखा हाल नहीं बता सकते। फिर अनुभव मे यह भी आता है कि  जन्मपत्री की प्रत्येक वर्ष या दो वर्षों मे विवेचना करनी चाहिए क्योंकि तात्कालिक ग्रह स्थिति (गोचर) से फल पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है और कई तरह के प्रभाव जो महादशा, और अन्तर्दशा की विवेचना मात्र से नहीं पता चल सकता।

c. ज्योतिषी महोदय का ज्योतिष का ज्ञान और तात्कालिक ग्रह स्थिति दोनों ही भविष्य कथन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
 
d. कई बार ज्योतिषी  महोदय को ऐसी चीज़ें भी ज्ञात होतीं हैं जो अधिकांश समय संभवतः खुद ही नहीं बता पाएं।  

उदाहरण के तौर पर एक जातक को मैने यह बताया कि  उसको कीट पतंगों से हानि होगी। फिर पता नहीं क्या दिमाग मे आया , उनकी ग्रह स्थिति देख कर मैंने उनसे पुछा - क्या उनको मछर काटते हैं तो वह स्थान कड़ा पड़ जाता है और कुछ दिन मे ठीक होता है क्योकि मछर का काटा कुछ देर मे ज्यादातर ठीक हो जाता है। इस बात को उन्होने सही बताया।

 बाद मे मैं खुद सोंच रहा था कि इतना सटीक दिमाग मे कैसे आया। इसका उत्तर है कि ऐसे कई बार ज्योतिषी महोदय के दिमाग मे चीज़ें आती हैं जो ग्रह स्थिति से ही दिखती है, पर हर बार नहीं।

यही कारण है कि, कई विद्वान ज्योतिषी कभी कभी कुछ समय के लिए या किस विशेष समय जन्मपत्री देखने से मना कर देते हैं और बाद मे बुलाते हैं। यह उनकी  अध्यातिमिक ज्ञान साधना है जो उनको निर्देशित करती हैं।

एक विशेष बात ; हर जन्मपत्री मे एक ऐसा पहलू होता है जो आमतौर पर ज्योतिषी की पकड़ से दूर होता है और, यह बहुत विद्वान और आध्यात्मिक ज्योतिषी ही देख पाते हैं। वैसे तो सब नौ ग्रह , बारह राशियों और सत्ताईस नक्षत्रो पर ही निर्भर करता है परन्तु फिर भी वह पहलु हर बार हर ज्योतिषी को उजागर नहीं होता है।

जैसे भगवत कृपा से विद्वान वैध , विद्वान गुरु मिलते हैं , ठीक वैसे ही उसकी कृपा से विद्वान् ज्योतिषी  मिलते हैं। और भगवत कृपा से ही वैध, गुरु और ज्योतिषी की बातें समझ आती हैं और अमल करने की सद्बुद्धि और इच्छा शक्ति मिलती है।

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3. क्या रत्न धारण करने से एवं अनुष्ठान / पूजा आदि से भाग्य बदल जायेगा ?

तथ्य :

 
ज्योतिष उपाय भाग्य / प्रारब्ध नहीं बदलते और ज्योतिष शाश्त्र का यह लक्ष्य है भी नहीं।

अनुभव :

ज्योतिष शाश्त्र मे बताये गए उपाय भाग्य को नहीं बदलते। भाग्य तो कार्मिक यात्रा का परिणाम है। और कार्मिक यात्रा के फल तो हर व्यक्ति को भोगने हैं , और तभी तो हमारा जन्म हुआ है।

 यह जन्म हमको अपनी कार्मिक यात्रा मे आगे की ओर ले जाने के लिए ही तो हुआ है तो भाग्य सी भागना कैसा ?

ज्योतिष उपाय छाते की तरह होते हैं जो बरसात या धूप को समाप्त नहीं करता परन्तु असर को कम कर देता है। ज्योतिष उपाय आपको आप के  कर्म को भोगने मे सहायता करते है।

ज्योतिष उपाय की सार्थकता


4. क्या जन्मपत्री के गुण मिलान करके विवाह करने से विवाह सुखी होगा ?

तथ्य :

 
विवाह के लिए जमकुन्डली मिलान 'मेलापक' कहलाता है और ज्योतिष शाश्त्र मे इस पर विस्तृत वर्णन है। गुण मिलान मेलापक का एक अंग है।

अनुभव :

विवाह योग्य युवक एवं युवती की विवाह के प्रयोजन से जन्मकुंडली विवेचना  एक बहुत ही अच्छा कदम है परन्तु सिर्फ गुण मिलान से विवाह सफल नहीं होते। भारत के अधिकांश हिस्सों मे जन्मकुंडली मिलान करके ही विवाह होते हैं और फिर भी वैवाहिक विच्छेद , वैवाहिक सुख मे कमी आदि देखने को मिलती है।

विवाह के लिए जन्म कुंडली देखते समय यह देखना अति आवश्यक है कि युवक एवं युवती का विवाह होगा या नहीं। फिर, उनका एक दूसरे से विवाह होगा कि  नहीं। क्या दोनों की कुंडली मे सुखी विवाह योग है कि  नहीं। यदि नहीं है तो किस वजह से नहीं है।

यदि कुंडली मिल रही है तो यह बताना आवश्यक है कि, वर और वधु को आपस मे व्यवहार  करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कोई अनिष्ट समय एक साथ तो प्रारम्भ नहीं हो रहा। संतान सुख एवं स्वस्थ्य कैसा होगा। 

 सबसे महत्वपूर्ण बात जो देखना चाहिए वह दोनों की (वर और वधु ) की आयु निर्धारित करना (जो ज्योतिषी  को सावधानी पूर्वक ही बतानी चाहिए या गुप्त रखनी चाहिए ) क्योंकि अल्पायु योग आदि देखना आवश्यक है। 


वैसे भी विवाह तो स्वर्ग मे निर्धारित होते हैं और हिन्दू धर्म को छोड़कर कोई  और धर्म जन्मपत्री मिला कर विवाह नहीं करता। और विवाह वहां सफल होते हैं। 


अतः , ज्योतिषी की सहायता वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए मार्गदर्शन लेने के लिए कीजिये।

आशा है आपको यह लेख जानकारीपूर्ण लगा होगा।
सप्रेम
अनुरोध

ज्योतिष एवं हीलिंग सेवाओं के लिए ज्योतिष हीलर सेवा पेज देखिये।

कृपया सोशल मीडिया पर शेयर कीजिये और रेट कीजिये। कमेंट बॉक्स मे अपने विचार लिखिए जो मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। 

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Comments

  1. सटीक जानकारी

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  2. You hit the nail dear. Non believers have no business to comment or nullify which they themselves didn't practice or studied.
    Astrology under able guidance of learned can work wonders with correct input and can be disasters when handle by novice.
    Very rightly summarised this issue.

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