कैसे सेरेनिटी सरेंडर हीलिंग ने अंग्रेजी भाषा का डर ख़त्म किया ? (लेख को अंग्रेजी मे पढ़ें )
(नाम, स्थान एवं समय व्यक्तिगत गोपनीयता के लिए बदल दिए गए हैं)
नमिता कक्षा ४ की छात्रा थी। उसकी सबसे बड़ी समस्या थी कि वह अंग्रेजी भाषा बोलने और लिखने मे कमजोर थी। बात करने पर वह कहती थी कि उसको इस भाषा से घृणा है। यह भाषा स्कूल मे पढाई क्यों जाती हैं। कई तरह की तरकीबें कर के देखी जा चुकी थी परन्तु कोई परिणाम नहीं निकला। नमिता के माता पिता बहुत चिंतित थे क्योंकि यह उसकी पढाई मे बाधा थी।
नमिता का एक सेरेनिटी सरेंडर (serenity surrender) हीलिंग सेशन किया गया।
सेशन के दौरान उसका एक पिछला जन्म दिखाई दिया। बताते चले कि सेरेनिटी सरेंडर हीलिंग मे हीलिंग करने वाले व्यक्ति को ना ही सम्मोहित और ना ही बेहोश किया जाता है। हीलिंग करने वाले हीलर वयक्ति को ही सभी तरह की जानकारी प्राप्त होती हैं और वह उन जानकारियों के आधार पर उस व्यक्ति के अंदर बैठे विश्वास, विचार आदि को हील कर देता है।
नमिता का वह जन्म येरुशलम मे था। वहां पर वह एक परिवार मे जन्मी थी जो बहुत धार्मिक था। चर्च के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। नमिता एक प्यारी बच्ची थी और उसका खेलने मे बहुत मन लगता था। उन दिनों उसके नगर के चर्च मे बाइबिल से सम्बंधित कुछ अनुवाद आदि का काम हो रहा था। जैसा की दिखाई दिया कि उस धार्मिक काम के लिए चर्च ने कुछ बच्चों को चुना था जिनकी लिखावट सूंदर थी। नमिता उसमे से एक थी। (उस जन्म मे उसका नाम क्या था यह नहीं आया) | नमिता के लिए अंग्रेजी भाषा नई थी और वह चर्च का काम उस समय होता था जो उसका खेलने का होता था। परिवार धर्म के प्रति इतना निष्ठावान था कि नमिता का उस काम मे चुना जाना उन लोगों के लिए सौभाग्य एवं सामाजिक प्रतिष्ठा की बात थी। परन्तु नमिता के लिए यह किसी सज़ा से कम न था।
नमिता हर दिन चर्च मे शाम को जाती और लिखने का काम करती। एक तो खेलने का समय न मिलना और दूसरा अंग्रेजी भाषा का ज्यादा ज्ञान न होना उसको बहुत ही परेशान कर रहा था। उसने इस काम से निकलने कि एक तरकीब निकाली। वह जानकर लिखने मे गलतियां करने लगी। कुछ दिन तो वहां पर उसको ठीक करने को कहा गया। समझाया गया , थोड़ा डांटा भी गया परन्तु नमिता को यह बात समझ आ चुकी थी कि गलती करना यहाँ स्वीकार नहीं है। उसने और गलतियां करनी शुरू कर दी। कुछ ही दिनों मे चर्च ने उसको उस काम से निकल दिया। नमिता खुश थी।
इस पूरी घटना का उस समय की नमिता की आत्मा पर गहरा असर हुआ।
१. उसको अंग्रेजी भाषा से घृणा हो गयी। उसे लगने लगा की अंग्रेजी भाषा उसकी खेलने की और दूसरी स्वतंत्रता छीन लेती है।
२ इससे बचने के लिए उसको हमेशा भाषा लिखते समय गलतियां करनी हैं और बोलने से भी बचना है।
इस जीवन मे भी नमिता को खेलना बहुत अच्छा लगता था। लिखावट बहुत सुंदर थी। और अगंरेजी लिखने मे बहुत गलतिया करती थी। पढ़ने और बोलने मे परेशानी थी।
नमिता की यह वैचारिक समस्या हील कर दी गयी।
यहाँ यह जानकारी आवश्यक है कि हीलिंग का परिणाम क्या होगा , कितना होगा, कब तक होगा ,यह समय के साथ ही पता चलता है।
उसका फिर कोई भी सेशन नहीं हुआ। करीब एक साल के भीतर धीरे धीरे नमिता के अंग्रेजी बोलने, पढ़ने और लिखने के कौशल मे बहुत सुधार हुआ। आज नमिता अंग्रेजी मे बात करती हैं, लिखती हैं और पढ़ती हैं। और एक विशेष बात ; वह अंग्रेजी गानो की शौक़ीन हैं और उन गानो को गा भी लेती हैं।
सेरेनिटी सरेंडर हीलिंग समस्या की जड़ को समझ कर उसका दिव्या निराकरण करता हैं। यह परिणाम हमेशा वह नहीं होते जो आप चाहते हो परन्तु जो भी परिणाम आते हैं मन को शांति प्रदान करते हैं।
सप्रेम
अनुरोध
बेहतरीन ।यदि कोई उपाय इस रूप में विकसित हो की past time से किसी वर्तमान की प्रोब्लम सॉल्व करने में सहायता मिले अनगिनत मानसिक /व्यवहारिक समस्या को दूर कर सकते है।,🙏
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