(इस लेख को अंग्रेजी मे पढ़िए)
हम मानव शरीर मे आत्मा हैं ना कि हम मानव शरीर हैं जिसमे एक आत्मा है। आत्मा अनंत काल से एक अनंत यात्रा पर है और उस यात्रा मे अब तक कई जन्म ले चुकी है। आत्मा की इस अनंत यात्रा का सिर्फ एक ही लक्ष्य है , और वह लक्ष्य है अपने प्रेम स्वरुप की पहचान करना।
मानव को एक शक्ति प्रदान की गयी है और वह है उसकी 'बुद्धि' | बुद्धि के द्वारा ही मानव को काल एवं स्थान के अनुसार जीवन जीना आ जाता है। मानव बुद्धि स्वतंत्र है। यानि मानव अपनी बुद्धि को जैसा चाहे बना सकता है।
मानव को दूसरी शक्ति 'मन' के रूप मे मिली है जो इन्द्रियों के द्वारा बुद्धि द्वारा किये गए कर्म को अनुभव करती है। यह अनुभव आत्मा का अनुभव है।
अतः समस्त कर्म के अनुभव मानसिक हैं। यह अनुभव हमारे मन मे स्थाई हो जाते हैं। मन और आत्मा मानव के प्रत्येक कर्म को निर्देशित करते हैं। बुद्धि प्रत्येक जन्म मे नई होती है क्योकि यह काल और स्थान को विवेचित कर के निर्णय लेने में सहायता करती है। परन्तु आत्मा का मानसिक अनुभव स्थाई हो जाता है।
यह आत्मा का मानसिक अनुभव ही का कमाल है कि , हमको कई बार विषय बड़ी जल्दी समझ आता है या , कई बार जन्म से ही कोई बालक किसी विशेष योग्यता को प्रदर्शित करता है जबकि उसको उस विषय का पर्याप्त ज्ञान भी नहीं दिया जाता।
कुछ और उदाहरण देखने मे आते हैं। जैसे; कभी कभी किसी जगह पर पहली बार जा कर लगता है जैसे कि हम उस जगह को जानते हैं। किसी व्यक्ति विशेष के लिक बहुत लगाव होना। या किसी विशेष व्यक्ति से बिना किसी कारण के घृणा होना। किसी भी चीज़ या स्थिति से अकारण डर लगना जैसे , आग, पानी, बंद जगह, भीड़, कोई विशेष जानवर आदि। कभी कभी किसी विशेष तरह के काम मे बढ़ी जल्दी महारथ हासिल कर लेना।
यह सब आत्मा द्वारा अर्जित मानसिक अनुभव जो कि पिछले जन्मों मे किये गए हैं उनका परिणाम हैं।
हमारी आज की जो भी समस्या हैं उनकी जड़ पिछले जन्मों मे है। बुद्धि उस कड़ी को नहीं जोड़ सकती इसलिए लोग कहते हैं कि उनको नहीं पता कि जो उनके साथ हो रहा है वह क्यों हो रहा हैं। मानसिक अनुभव आत्मा की अनंत यात्रा का सत्य हैं और किसी भी जन्म मे यह आत्मिक निर्णय होता हैं कि आत्मा उस जन्म मे क्या सीखने आयी हैं। अतः उस तरह कि परिस्तिथि का चुनाव किया जाता हैं जहाँ वह अपने पाठ सीख सके।
उदाहरण के लिए , यदि किसी जन्म मे आत्मा यह निर्णय लेती हैं कि उसको आत्मविश्वास सीखना हैं क्यूंकि पिछले जन्मों मे प्रयास के बाद भी वह यह नहीं सीख पायी।
अतः इस जन्म मे उस वयक्ति के सामने बार बार ऐसी परिस्तिथियों के निर्माण होगा जो उसको कम आत्मविश्वासी होने का प्रमाण देगी और अवसर भी देगी कि वह आत्मविश्वास जागृत करे। क्यूंकि वह वयक्ति पिछले जन्मों मे कई बार असफल हो चुका है अतः उसकी वह स्मृति जाग जाएगी और वह हो सकता है परिस्थिति से डर जाये परन्तु पूर्ण आशा है कि वह आत्मविश्वास से वह भर जाये और धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे।
कई बार संबंधों मे भी समस्या आती हैं। हर सम्बन्ध कुछ सिखाने आता हैं। अच्छे सम्बन्ध भी पूर्व जन्म से आये हैं और तनाव ग्रस्त सम्बन्ध भी उसी की देन हैं। इसी प्रकार वयक्तित्व के विकार एवं गुण , रोजगार आदि मे प्रगति या बाधा, अच्छा स्वास्थ्य या बीमारी , सभी तरह के अच्छे बुरे अनुभव पूर्व जन्म कर्म की देन हैं।
यदि सब पिछले जन्म से ही आया है तो फिर किया क्या जा सकता हैं ?
बहुत कुछ किया जा सकता हैं। जैसे ;
सेरेनिटी सरेंडर हीलिंग
सेरेनिटी सरेंडर हीलिंग एक प्रभावशाली तरीका है जिसके द्वारा न सिर्फ हमको अपने जीवन मे हो रही कई तरह की समस्या और घटनाओं का कारण पता चलता हैं बल्कि उनसे सम्बंधित मानसिक विचार एवं विश्वास को भी इस प्रणाली द्वारा सही किया जा सकता है।
यह हीलिंग प्रणाली अति सुरक्षित एवं प्रभावशाली है। हर आयु वर्ग के स्त्री पुरुष इस हीलिंग प्रणाली से लाभान्वित हो सकते हैं।
सेरेनिटी सरेंडर सेशन मे जो वयक्ति हीलिंग करवाता हैं वह हीलर को अपनी समस्या बताता है। हीलर उस व्यक्ति से मानसिक रूप से अपने आप को जोड़ता है और बताई गई समस्या का कारण पता करता हैं और फिर हील कर देता है। हीलिंग करने वाले वयक्ति को प्रायः कुछ पता नहीं चलता। परन्तु हीलिंग के कुछ समय पश्चात फर्क अनुभव होता है। कई बार एक से ज्यादा भी सेशन करने की जरूरत पड़ सकती है।
यह हीलिंग प्रणाली श्रीमती शिवि दुआ को ज्ञात हुई और २०१० मे यह सार्वजानिक रूप से लोगों के लिए उपलब्ध हुई।
(www.serenitysurrender.com)
सेरेनिटी सरेंडर सम्मोहन एवं ज्योतिष विद्या नहीं है।
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सप्रेम,
अनुरोध
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Have a blessed time ahead.