मिथ्या २ : शिशु जन्म के लिए शल्य क्रिया का महूर्त निकालना | (Myth 2: selecting the time of cesarean section for child birth)
मित्रों, आजकल
एक चलन है कि यदि डॉक्टर ने शिशु जन्म (child birth) के लिए गर्भवती (pregnant
lady) को शल्य क्रिया (cesarean
section) की सलाह दी है तो लोग ज्योतिषी से मिल
कर महूर्त (elective surgery) निकलवाते हैं और यह
काफी प्रचलित हो रहा है।
क्या
ऐसा करना संभव है ?
यह सही है कि आज
प्रतिस्पर्धा का युग है और, हर व्यक्ति की
यह इच्छा होती है की उसकी संतान का जीवन उत्तम हो। यह इच्छा शुभ है और स्वाभाविक है। परन्तु किसी
को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवन एवं
मरण ईश्वर के हाथ है। जन्म प्रारब्धद्ध के अनुसार होता है।
कई तरह के शोध
कार्यों की, एवं शास्त्रों मे लिखी बातों का एक ही
सार है कि, आत्मा का जन्म उसकी कार्मिक (karma) यात्रा
का अंग है, और यह आत्मा का अपना चुनाव होता है कि
वह अपने जन्म मे क्या भोगना चाहती है क्योंकि, प्रत्येक
आत्मा हर जन्म मे अपनी कार्मिक यात्रा मे सिर्फ आत्मबोध (self realization/
Self recognition) का अनुभव करती है और जन्म लेने का सिर्फ
यही उद्देश्य है।
आज विज्ञानं अपनी
परम् उचाईयों को छू रहा है। मानव कितने ही
असंभव तो संभव कर चुका है। और संभवतः यह मानव का दम्भ भी है कि, अब वह इस ब्रह्माण्ड की महान व्यवस्था को
नियंत्रित कर सकता है। इसके अनेको अनेक उदाहरण आज इसके साक्ष्य है जैसे, जेनेटिक
इंजीनियरिंग के द्वारा वैज्ञानिक पौधों की संरचना मे कई मूलभूत परिवर्तन कर चुके
हैं। क्लोनिंग कर के जानवरों की उन्नत
प्रजातियां तैयार की गई हैं। आने वाले
दिनों मे यह प्रयोग मनुष्य पर भी करने की तैयारी है और डिज़ाइनर बच्चे (designer children) भी
जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा जन्म लेने को तैयार हैं। यह बात भी सही है कि यह मानव के लिए वरदान है। परन्तु यदि मानव यह
सोचता है कि वह समय एवं प्रारब्ध को धता
बता सकता है तो यह उसका भ्रम है।
जब यह बात तय है कि
आत्मा अपने जन्म को अपने कर्मों के अनुसार ही तय करती है तो यदि महूर्त भी निकला
जा रहा है तो भी जन्म लेने वाली आत्मा का चुनाव पूर्ण रूप से उसमे निहित है और, यह आध्यात्मिक रूप से
संभव नहीं कि जन्म महूर्त के हिसाब से हो। यदि आत्मा का चुनाव एक विशेष जन्म के
लिए निश्चित है तो ग्रह स्थिती उसके अनुसार ही होगी।
मेरे अनुभव मे अब तक
एक ही ऐसा जन्म आया है जहाँ महूर्त के अनुसार शल्य क्रिया करा के जन्म हुआ है।
अपने ज्ञान के अनुसार जन्मपत्री के विश्लेषण करने पर मुझको नहीं समझ आया कि ज्योतिषी
ने उस समय मे क्या विशेष देखा जो उस समय को महूर्त निश्चित किया। संभवतः जन्म
ज्यादा टाला नहीं जा सकता होगा तो उस समय के अनुसार जो भी तुलनात्मक महूर्त सही
लगा होगा वह निश्चित किया होगा और,
उनके पास कोई और विकल्प भी नहीं होगा।
कुछ वर्ष पश्चात् उस बच्चे से सम्बंधित कुछ समस्या के लिए मुझसे संपर्क किया गया। और
उस समस्या का हल न मिलने से परिवार परेशान भी था।
इस घटना से मेरा
विश्वास और दृढ हो गया कि मनुष्य नियति को नहीं काट सकता। आज जिस सफलता का दम्भ भर रहा है वह भी नियति की
ही देन है। ब्रह्माण्ड यह चाहता है कि कई
प्रकार की समस्या का समाधान मानव अपने वैज्ञानिक ज्ञान से करे और आगे भी यह ज्ञान
और उचाइयां छुएगा परन्तु प्रारब्ध प्रबल है , कर्म (karma) प्रधान है और सदा आत्मा की अधत्यात्मिक यात्रा
का कारक (factor) बनेगा
।
मेरी एक शिकायत
ज्योतिषियों (astrologers) से भी है, जो इस प्रकार की सोच को पोषित (feeding the
thinking) कर के ज्योतिष शास्त्र को कलंकित करते हैं तथा जनसामान्य मे भ्रम भी फैलाते
हैं। और यह सब सिर्फ कुछ धन के लिए और अपना झूठा ज्ञान दिखने के लिए | जबकि वह
पूर्ण रूप से जानते हैं कि, जन्म और मरण नियति द्वारा निश्चित है और, यह उनके
अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
अतः जीवन और मरण
ब्रह्म के ही नियंत्रण मे है, मानव
जन्म सिर्फ आत्मबोध के लिए ही होता है। किसी प्रकार का नियंत्रण मात्र अहंकार है
और, अहंकार
देर सबेर प्राग्ज्ञता (wisdom) मे
परिवर्तित हो ही जाता है।
सप्रेम,
अनुरोध
संपर्क
स्रोत :
google images –
copywrite free
यह बिल्कुल सही है। भगवान के हाथ में सब है। बर्थ का समय निश्चित है, कारण कुछ भी हो।
ReplyDeleteधन्यवाद। यदि लेख उपयुक्त है तो अपने जानकर लोगों से साझा कीजिए ।
Deleteसराहनीय विश्लेषण। जो नियति है उसको तो भोगना ही है। अंग्रेजी में कहा गया है Man proposes God disposes. जो होना है वो हमारे कर्मफल ही हैं और उत्तम कर्म करने का ही प्रयास होना चाहिये व्यक्ति का।
ReplyDeleteधन्यवाद। यदि आपको उपयुक्त लगे तो अपनो के साथ शेयर कीजिए ।
DeleteAbsolutely correct
ReplyDelete